इस गंभीर समय में तो राजनीति छोड़ दीजिए ममता बनर्जी

इस गंभीर समय में तो राजनीति छोड़ दीजिए ममता बनर्जी

सुमन कुमार

कुछ राज्‍यों की लापरवाही कोरोना से लड़ाई में भारी पड़ती दिख रही है। चिंता की बात बंगाल से सामने आ रही है जहां की राज्‍य सरकार इस वैश्विक संकट की घड़ी में भी संकीर्ण राजनीति से बाज नहीं आ रही है। डाटा में हेरफेर कर अपने यहां मरीजों की कम संख्‍या दिखाने का मामला हो या मौतों की संख्‍या पर केंद्र से उलझना, ममता बनर्जी की सरकार ने हर मुद्दे पर टकराव का रास्‍ता अपना रखा है। यही वजह है कि मंगलवार को देश में 194 मौतों का 24 घंटे का जो डाटा आया है उसमें 98 मौतें अकेले पश्चिम बंगाल में दर्ज हुई हैं।

हालांकि ममता बनर्जी की सरकार इनमें से 71 मौतों को कोरोना मौत मानने को तैयार नहीं हैं। ममता सरकार का दावा है कि ये मौतें दूसरी बीमारियों से हुई हैं। जबकि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय द्वारा तैयार गाइडलाइंस के अनुसार किसी भी दूसरी बीमारी से पीड़ि‍त व्‍यक्ति की मौत के समय अगर उसे कोरोना भी है तो इस मौत को कोरोना मौत में ही दर्ज किया जाएगा। ममता बनर्जी की सरकार इस गाइडलाइन को मानने के लिए तैयार नहीं है क्‍योंकि इससे उससे आंकड़े बढ़ रहे हैं।

जाहिर सी बात है कि देश के दूसरे हिस्‍से में जहां अन्‍य बीमारियों से पीड़‍ित कोरोना मरीजों की जान भी बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं की वजह से बच रही है वहीं बंगाल में बदहाल स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं के कारण ऐसे मरीजों की मौत बड़े पैमाने पर हो रही है। पूरे देश में कुल कोरोना मरीजों में मौत का आंकड़ा बंगाल में सर्वाधिक है। पूरे देश में प्रति 100 कोरोना मरीजों में से सिर्फ 3.4 की ही मौत हो रही है। दूसरी ओर बंगाल में 1259 मरीजों में से 133 की मौत हो चुकी है यानी 10.6 फीसदी कोरोना मरीज मौत के मुंह में जा रहे हैं।

खास बात ये है कि इस मुद्दे पर राज्‍य सरकार की मदद के लिए केंद्र के विशेषज्ञों की एक टीम बंगाल भेजी गई है मगर ममता सरकार के अधिकारी उस टीम से भी सहयोग करने के लिए तैयार नहीं हैं। उस टीम को जरूरी डेटा और सही जानकार‍ियां नहीं दी जा रही हैं। जाहिर सी बात है कि इस हालत में नुकसान सिर्फ बंगाल की जनता का ही होना है। ये भी नहीं है कि केंद्र सरकार ने विशेषज्ञों की टीम सिर्फ बंगाल में ही भेजी है। कोरोना से सबसे प्रभावित महाराष्‍ट्र में भी ऐसी एक टीम काम कर रही है मगर वहां राज्‍य सरकार कोई असहयोग नहीं कर रही। यहां तक कि केंद्रीय सरकार से विचारधारा के स्‍तर पर घोर उलटी दिशा में खड़ी केरल सरकार भी इस महामारी में केंद्र के सभी गाइडलाइंस का पालन कर रही है मगर ममता बनर्जी केंद्र सरकार से टकराव की अपनी राजनीति छोड़ने को तैयार नहीं हैं।

दरअसल ममता बनर्जी के इस रवैये के पीछे अगले साल के आरंभ में होने वाले राज्‍य विधानसभा चुनाव हैं। लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से कड़ी टक्‍कर मिलने के बाद ममता बनर्जी के मन में राज्‍य में चुनावी हार का डर घर कर गया है और इसलिए वो हर मुद्दे पर नरेंद्र मोदी का विरोध कर रही हैं। हालांकि इसमें नुकसान राज्‍य के लोगों का है और ममता शायद ये भूल गई हैं कि जब लोगों को लग जाता है कि किसी एक व्‍यक्ति के कारण उनका नुकसान हुआ है तो खामियाजा भी उसी व्‍यक्ति को भुगतना पड़ता है।

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